हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा जारी आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2019-20 की अंतिम तिमाही (जनवरी-मार्च) में भारत की सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 3.1% दर्ज की गई है। वित्तीय वर्ष 2019-20 में GDP वृद्धि दर 4.2% के साथ 11 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ सकती है, जो कि पिछले वित्तीय वर्ष (2018-19) में 6.1% थी।
पृष्ठभूमि
- आँकड़ों के अनुसार, आठ कोर इंफ्रास्ट्रक्चर उद्योगों का उत्पादन भी अप्रैल माह में रिकॉर्ड 38.1 %घट गया, जबकि देश का राजकोषीय घाटा वित्तीय वर्ष 2019-20 में सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के 4.6 % तक पहुँच गया है, जो कि मुख्यतः कम राजस्व प्राप्ति के कारण है।
- भारत समेत विश्व की विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं पर इस लॉकडाउन का प्रभाव देखने को मिल रहा है, चूँकि आर्थिक गतिविधियाँ पूरी तरह से रुक गई हैं।
मुख्य बिंदु
- वित्तीय वर्ष 2019-20 में सकल स्थायी पूंजी निर्माण (Gross Fixed Capital Formation- GFCF) में (-) 2.8 % नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गयी है। GFCF का आशय सरकारी और निजी क्षेत्र में स्थायी पूंजी पर किये जाने वाले शुद्ध पूंजी व्यय के आकलन से है।
- जहाँ विनिर्माण क्षेत्र (-) 1.4 % निर्माण क्षेत्र में (-) 2.2 % की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई। हालाँकि इसी अवधी में कृषि और सरकारी खर्च में क्रमश: 5.9 % और 10.1 % की वृद्धि ने गिरती हुई अर्थव्यवस्था को संभालने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
- अप्रैल माह में विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक (Purchasing Managers’ Index) 27.4 के निचले स्तर पर आ गया है, जो कि मार्च माह में 51.8 के स्तर पर था। वित्तीय वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में वस्तुओं और सेवाओं के निर्यात में 60 प्रतिशत की कमी आई है।
सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP)
- सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) एक विशिष्ट समय अवधि में देश की सीमाओं के भीतर उत्पादित सभी तैयार वस्तुओं और सेवाओं का मौद्रिक मूल्य है।
- सकल घरेलू उत्पाद = उपभोग + सकल निवेश + सरकारी खर्च + (निर्यात - आयात), या
- GDP = C + I + G + (X - M).