भारत सरकार ने महासागरीय संसाधनों के सतत उपयोग को बढ़ावा देने के लिए देश की समुद्री सीमा से संलग्न गहरे क्षेत्रों के गहन अन्वेषण के लिए 8000 करोड़ की लागत वाली ‘गहन सागर मिशन’ की शुरुआत केंद्रीय पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय 31 अक्टूबर, 2019 से शुरू करेगा।
पृष्ठभूमि
- संयुक्त राष्ट्र इंटरनेशनल सीबेड अथॉरिटी ने भारत को पॉलिमेटेलिक नोड्यूल (Polymetallic Nodules-PMN) के दोहन के लिये मध्य हिंद महासागर बेसिन में 1,50,000 वर्ग किलोमीटर की साइट आवंटित की गई है।
- 1981 में CSIR-NIO ने अरब सागर में पॉलिमेटेलिक नोड्यूल्स पर कार्यक्रम की शुरुआत अनुसंधान पोत गवेषनी द्वारा की थी।
- पॉलिमेटेलिक नोड्यूल लोहे, मैंगनीज़, निकल और कोबाल्ट से युक्त समुद्र तल पर बिखरी हुई चट्टानें हैं।
- मध्य महासागर में समुद्र के तल पर 380 मिलियन मीट्रिक टन पॉलीमेट्रिक नोड्यूल उपलब्ध हैं।
- वैज्ञानिक के अनुसार महासागरों में भंडारित पॉलीमेट्रिक नोड्यूल के मात्र 10% के दोहन भी अगले 100 वर्षों के लिए ऊर्जा की आवश्यकता की पूर्ति कर सकतें हैं।
प्रमुख बिंदु
- इसके अंतर्गत अपतटीय विलवणीकरण संयंत्र की स्थापना की जायेगी जो ज्वार ऊर्जा द्वारा संचालित होगा एवं ऐसी पनडुब्बी द्वारा 6,000 की गहराई में समुद्र तल पर बिखरी चट्टानों का अध्ययन किया जाएगा।
- यह एक एकीकृत कार्यक्रम है जिसमें कई वैज्ञानिक विभाग जैसे कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, जैव प्रौद्योगिकी विभाग, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन और भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद मिलकर काम करेंगे।
सीएसआईआर- एनआईओ( CSIR- National Institute Of Oceanography)
- वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर), नई दिल्ली के 37 घटक प्रयोगशालाओं में से एक CSIR-NIO की स्थापना 1966 में अंतर्राष्ट्रीय हिंद महासागर अभियान (IIOE) के बाद हुई थी।
- इसका मुख्यालय डोना पाउला, गोवा में है।