हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारत-चीन के मध्य 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' (Line of Actual Control- LAC) पर गतिरोध के मद्देनज़र दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने की पेशकश की है। यह प्रस्ताव ऐसे समय आया है जब अमेरिका और चीन के बीच ‘व्यापार तथा COVID-19 की उत्पत्ति’ जैसे मुद्दों पर तनाव की स्थिति बनी हुई है। अब तक लद्दाख में भारतीय और चीनी सैन्य कमांडरों के बीच कम-से-कम छह दौर की वार्ता असफल हो चुकी हैं।
पृष्ठभूमि
- विगत कुछ माह पहले भी अमेरिका ने कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता की पेशकश की थी लेकिन भारत ने इसे द्विपक्षीय चर्चा मुद्दा बता कर खारिज़ कर दिया था।
- वर्तमान में भारत और चीन के बीच 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' पर तनाव की स्थिति हैं, जिनमें पैंगोंग त्सो , गैलवान घाटी, सिक्किम के ‘नाकु ला’ और डेमचोक शामिल हैं।
मुख्य बिंदु
- चीन द्वारा सेना को युद्ध की तैयारियों को बढ़ाने और देश की संप्रभुता का पूरी तरह से बचाव करने के आदेश के बाद से दोनों देशों के बीच 'वास्तविक नियंत्रण रेखा' पर तनाव बढ़ गया था।
- भारत ने अमेरिका की मध्यस्थता के प्रस्ताव को तीसरा पक्ष करार देते हुए अस्वीकार करते हुये कहा है की वो इस मुद्दे को हल करने के लिये उच्च स्तरीय बैठकें कर रहा है।
- चीन ने भी दोनों देश द्विपक्षीय चर्चा के माध्यम से गतिरोध का समाधान करने की बात की है।
भारत-चीन संबंध
- भारत ने 1 अप्रैल, 1950 को चीन के साथ अपने राजनयिक संबंध स्थापित किये थे और इसी के साथ भारत पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने वाला पहला गैर-समाजवादी देश बन गया था।
- वर्तमान में दोनों देशों के प्रतिनिधियों के मध्य समय-समय पर द्विपक्षीय वार्त्ताओं के साथ-साथ अनौपचारिक सम्मेलनों का आयोजन भी किया जा रहा है, जो यह दर्शाता है कि दोनों देश अपने दीर्घकालिक हितों को लेकर सजग हैं।